हम में से अधिकांश लोग अपनी कमाई के कुछ ना कुछ पैसा बचाकर सेविंग प्लान में निवेश करते हैं। निवेश बुरे वक्त के लिए, बच्चों की पढ़ाई के लिए, बेटी की शादी के लिए। देश भर के करोड़ों लोगों ने आंखें बंद कर सहारा ग्रुप की कंपनियों में पैसा लगाया और आज उन्हें ब्याज तो छोड़िए मूलधन के लिए भी दर-दर की ठोकरें खानी पड़ रही है। जानिए कैसे सुब्रत राय सहारा फर्श से अर्श पर पहुंचे और फिर अर्श से फर्श पर आ गए।
देशभर के करोड़ों लोगों ने सहारा ग्रुप की कंपनियों में पैसा लगाया था। आज हालत ये है कि उन्हें ब्याज तो छोड़िए उनका जमा मूलधन भी वापस नहीं मिल पा रहा है। निवेशक अपने जमा किए गए रुपयों को वापस पाने के लिए इधर-उधर भटकने को मजबूर हैं। सहारा कई तरह के प्लान चलाता था और दूसरों की तुलना में ज्यादा रिटर्न देता था। ये प्लान काफी फ्लेक्सिबल थे।
लोगों को एफडी में सालाना 11 से 12 फीसदी रिटर्न देने का वादा किया जाता था। इन योजनाओं में लोगों को कई सालों तक रिटर्न मिला भी, इसके चलते लोगों का सहारा पर भरोसा बढ़ता चला गया, लेकिन बाद में लोगों को न तो रिटर्न मिला और न ही उनका पैसा। सहारा की स्कीम्स में निवेश करने वाले आज तक परेशान हैं। अभी तक निवेशकों को उनके रुपये नहीं मिल पाए हैं। आखिर क्यों निवेशकों को उनके जमा रुपये नहीं मिल पा रहे हैं? कहां पेंच फंस रहा है। आइए आपको बताते हैं।
सेबी से हेल्प लेने के लिए आपको उसके टोल फ्री नंबर 18002667575 या 1800227575 पर सुबह नौ बजे से शाम छह 6 बजे के बीच कॉल कर अपनी दिक्कतें बतानी होगी। इसके अलावा अगर आप सहारा से रिफंड लेने के लिए अपनी शिकायत दर्ज करना चाहते हैं तो आपको निम्नलिखित प्रक्रिया अपनानी होगी।
जानिए किस तरह निवेशकों के फंस गए रुपये :
साल 1978 में सुब्रत रॉय ने अपने एक दोस्त के साथ मिलकर चिट फंड कंपनी शुरू की। उन्होंने पैरा बैंकिंग की शुरूआत की। गरीब और मध्यम वर्ग को टारगेट किया। मात्र 100 रुपए कमाने वाले लोग भी उनके पास 20 रुपए जमा कराते थे। देश की गलियों-गलियों तक उनकी ये स्कीम मशहूर हो गई। लाखों की संख्या में लोग सहारा के साथ जुड़ते चले गए। हालांकि साल 1980 में सरकार ने इस स्कीम पर रोक लगा दी थी। इसके बाद सुब्रत रॉय सहारा ने हाउसिंग डेवलपमेंट सेक्टर में कदम रखा। इसके बाद वो एक के बाद सेक्टर में उनके पंख फैलते चले गए। रियल एस्टेट, फाइनेंस, इंफ्रास्ट्रक्चर, मीडिया , एंटरटेनमेंट, हेल्थ केयर, हॉस्पिटैलिटी, रियर एस्टेट, रिटेल, इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी तक सहारा फैल चुका था। टाइम्स मैगजीन ने सहारा को रेलवे के बाद दूसरी सबसे ज्यादा नौकरी देने वाली कंपनी बताया था। 11 लाख से अधिक कर्मचारी सहारा परिवार का हिस्सा थे।
सेबी ने कसा शिकंजा :
सहारा इंडिया का सबकुछ ठीक चल रहा था। लेकिन किस्मत ने ऐसी बाजी पलटी कि किसी को अंदाजा तक नहीं था। समय इस तरह बदला कि खुद को ‘सहारा श्री’ कहने वाले सुब्रत रॉय को जेल की हवा खानी पड़ गई। वो साल 2009 था, जब सहारा ने कंपनी ने आईपीओ लाने की योजना बनाई थी। सहारा ने जब सेबी से IPO के लिए आवेदन दिया तो सेबी ने उससे DRHP यानी कंपनी का पूरा बायोडेटा मांग लिया। जब सेबी ने इसकी जांच की तो इसमें काफी गड़बड़ियां मिलीं। इसके बाद सेबी का सहारा इंडिया पर शिकंजा कसता चला गया। सहारा पर आरोप लगे कि उसने अपने निवेशकों का पैसा गलत तरीके से इस्तेमाल किया। सेबी ने आरोप लगाए कि सहारा ने अपनी दोनों कंपनियों के 3 करोड़ निवेशकों ने 24,000 करोड़ रुपये जुटाए जबकि इनकी कंपनियां शेयर बाजार में लिस्टेड नहीं थी।
इस तरह ले सकते हैं रिफंड :
सरकार की तरफ से पिछले साल यानी 2022 में संसद में दी गई जानकारी के मुताबिक सेबी को 81.70 करोड़ रुपये की कुल मूल राशि के लिए 53,642 ओरिजिनल बॉन्ड सर्टिफिकेट/पास बुक से जुड़े 19,644 आवेदन मिले थे। सेबी ने इनमें से 138.07 करोड़ रुपये की कुल राशि 48,326 ओरिजिनल बॉन्ड सर्टिफिकेट/पासबुक वाले 17,526 एलिजिबल बॉन्डहोल्डर्स को रिफंड किया था। इसमें 70.09 करोड़ रुपये मूलधन और 67.98 करोड़ रुपये का ब्याज शामिल था। अगर आपका भी पैसा सहारा इंडिया में फंसा हुआ है तो इसे वापस पाने के लिए आपको सेबी या कंज्यूमर हेल्पलाइन की मदद लेनी पड़ेगी। इसके लिए आपको कहीं जाने की जरूरत नहीं है। आप घर बैठे भी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, सेबी से मदद के लिए आपको उसके टोल फ्री नंबर 18002667575 या 1800227575 पर कॉल करना होगा। इन नंबरों पर आप सुबह नौ बजे से शाम छह बजे के बीच कॉल कर सकते हैं।